Poetry from heart ... For Every heart... For love in the Heart... For God in the Soul... For all Pains and sorrows.. For Memories .. of past we borrow.. Happiness we Feel.. And feelings we Deal..
Monday, 24 August 2015
Friday, 21 August 2015
Tuesday, 18 August 2015
Thursday, 13 August 2015
Tuesday, 11 August 2015
Sunday, 9 August 2015
Friday, 7 August 2015
Wednesday, 5 August 2015
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है…
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है…
अब मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है..
कुछ जिद्दी, कुछ नकचढ़ी हो गई है.
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है.
अपनी हर बात मनवाने लगी है..
हमको ही अब वो समझाने लगी है.
हर दिन नई नई फरमाइशें होती है.
लगता है कि फरमाइशों की झड़ी हो गई है.
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है.
अगर डाटता हूँ तो आखें दिखाती है..
खुद ही गुस्सा करके रूठ जाती है..
उसको मनाना बहुत मुश्किल होता है..
गुस्से में कभी पटाखा कभी फूलझड़ी हो गई है..
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है..
जब वो हँसती है तो मन को मोह लेती है..
घर के कोने कोने मे उसकी महक होती है..
कई बार उसके अजीब से सवाल भी होते हैं..
बस अब तो वो जादू की छड़ी हो गई है..
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है..
आते ही दिल उसी को पुकारता है..
सपने सारे अब उसी के संवारता है..
दुनियाँ में उसको अलग पहचान दिलानी है..
मेरे कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है
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