मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है…
अब मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है..
कुछ जिद्दी, कुछ नकचढ़ी हो गई है.
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है.
अपनी हर बात मनवाने लगी है..
हमको ही अब वो समझाने लगी है.
हर दिन नई नई फरमाइशें होती है.
लगता है कि फरमाइशों की झड़ी हो गई है.
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है.
अगर डाटता हूँ तो आखें दिखाती है..
खुद ही गुस्सा करके रूठ जाती है..
उसको मनाना बहुत मुश्किल होता है..
गुस्से में कभी पटाखा कभी फूलझड़ी हो गई है..
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है..
जब वो हँसती है तो मन को मोह लेती है..
घर के कोने कोने मे उसकी महक होती है..
कई बार उसके अजीब से सवाल भी होते हैं..
बस अब तो वो जादू की छड़ी हो गई है..
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है..
आते ही दिल उसी को पुकारता है..
सपने सारे अब उसी के संवारता है..
दुनियाँ में उसको अलग पहचान दिलानी है..
मेरे कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है
मेरी रचना meri beti thodi si badi ho gyi hai को इतना प्यार देने का बहुत बहुत शुक्रिया।
ReplyDeleteमाफ़ी चाहुगा रचना के साथ रचनाकार का भी नाम लिख दे तो मैं आपका आभारी रहूगा ।
Rajeev Sharma Raj
Bilkul Sir. Ye Rachna Bahut Pyaari Hai. Or Humaare Dil Ko Chutee Hai.
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